करोना वायरस वैश्विक एक महामारी है जिस ने समस्त विश्व को प्रभावित किया है, इसका पहला मामला चीन के बुहान शहर में 31 दिसम्बर 2019 देखने को मिला। वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (WHO)इसे 'महामारी' घोषित किया है। वही यह एक आर्थिक संकट के रूप में भी बड़ी चुनौती को उभरकर सामने आई है जिसमें वस्तुओं का उत्पादन ,आपूर्ति मांग श्रंखला, बेरोजगारी, रोजी रोटी का संकट आदि अनेक प्रकार की समस्याएं को जन्म दिया है।
* आर्थिक महामारी से जुड़े आंकड़े...
1. करोना महामारी से भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट गिरकर माइनस में जाने की आशंका है।
2. वित्तीय वर्ष 2020- 21 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट(growth rate) के अनुमान cii माइनस 0.9% (-0.9)
3. पिच रेटिंग्स= 0.8%
4. आई एम एफ=1.9%
5. वर्ल्ड बैंक 1 .5% से 2.8%
6. आईएलओ असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ कामगार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले प्रभावित होंगे ।
7. यूनाइटेड नेशन यूनिवर्सिटी के अनुसार भारत की 104 मिलियन लोग वर्ल्ड बैंक के द्वारा निर्धारित गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर सकते हैं ।
8. संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के मुताबिक गंभीर खाद्य सुरक्षा का सामना करने वाले लोगों की तादाद दोगुनी होने की संभावना है।
* प्रमुख चुनौतियां=
1. मांग आपूर्ति पूरी तरह प्रभावित खाद्य सामग्री जरूरी सामान की मांग में गिरावट।
2. आर्थिक गतिविधियों का चक्र टूटेगा उत्पादन प्रक्रिया बाधित होगी।
3. असंगठित क्षेत्रों में रोजगार छिने जा सकते हैगरीबी और बेरोजगारी बड़ेगी।
4. शेयर बाजार और वित्त क्षेत्र में कमजोर ।
5. सरकारी खजाने में जीएसटी और दूसरे करो में आने वाली पैसों में भारी गिरावट दर्ज की जाएगी।
6. एयरलाइन, ट्रैवल, टूरिज्म, होटल और हॉस्पिटैलिटी जैसी सेक्टर ठप्प हो जायेगे।
** सरकार की इस संकट से उबरने में रणनीति....
1. केंद्र सरकार ने 170 लाख करोड रुपए के पैकेज की घोषणा की है।
2. प्रधानमंत्री और जन कल्याण योजना के तहत डायरेक्ट कैश ट्रांसफर की सुविधा उपलब्ध कराई गई है ।
3. खाद्य सुरक्षा के जरिए गरीबों को राशन उपलब्ध कराया गया एवं खाद्य सामग्री को दोगुना कर दिया गया है ।
4. कर्मचारी भविष्य निधि खाते में 3 महीने का मूल वेतन या जमा राशि का 75% जो कम हो निकालने की अनुमति है ।
5. रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 4 .4% तक के दिया है।
6. सीआरआर में कटौती कर लिक्विडिटी बढ़ाई गई है ।
* भारतीय अर्थव्यवस्था समक्ष अन्य चुनौतियां....
1. करोना काल में गरीबी ,भूख ,बेरोजगारी और कामगारों को आपात राहत पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है ,गांव की ओर लौट रहे मजदूरों को दोबारा श्रम बाजार में लाना मुश्किल है, बेरोजगारी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दशा चिंताजनक है, छोटी और मझोली उद्योग महामारी की वजह से बनी इस स्थिति को बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है ,रोजगार उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती है ,प्रवासी मजदूरों के रोजगार पर लना , रेमिटेंस की कमी की संभावना है ,सरकार को इन समस्याओं से निपटने के लिए आगे क्या रणनीति अपनानी होगी ।
* सरकार को नीतियों में जरूरी बदलाव कर करके नई नीतियां को बनाने और राहत पैकेज देने की जरूरत है साथ ही राशन कार्ड और सार्वजनिक वितरण प्रणाली बनाने की जरूरत है।
1. स्थानीय स्तर परस्थाई रोजगार कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है ।
2. छोटे उद्योगों और स्वरोजगार में लगे लोगों को और सब्सिडी दोनों उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
3. खुदरा बाजार होटल उद्योगों और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार बहाली के लिए गंभीर प्रयास करने की दरकार है।
4. मांग और आपूर्ति को दोबारा रेगुलेट करने के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन एवं उद्योगों की जरूरत है ।
** निष्कर्ष - तह यह कहा जा सकता है सरकार करोना महामारी की समस्याओं से निपटने के लिए बहुत ही बेहतरीन कदम उठा रही है अगर आगे आवश्यकता पड़ी तो सरकार बैंक को एनबीएफसी और अन्य वित्तीय संस्थानों के लिए भी सरकार को वित्त व्यवस्था करनी चाहिए अन्य वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए वित्तीय आवंटन में बढ़ोतरी करें।
* आर्थिक महामारी से जुड़े आंकड़े...
1. करोना महामारी से भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट गिरकर माइनस में जाने की आशंका है।
2. वित्तीय वर्ष 2020- 21 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट(growth rate) के अनुमान cii माइनस 0.9% (-0.9)
3. पिच रेटिंग्स= 0.8%
4. आई एम एफ=1.9%
5. वर्ल्ड बैंक 1 .5% से 2.8%
6. आईएलओ असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ कामगार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले प्रभावित होंगे ।
7. यूनाइटेड नेशन यूनिवर्सिटी के अनुसार भारत की 104 मिलियन लोग वर्ल्ड बैंक के द्वारा निर्धारित गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर सकते हैं ।
8. संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के मुताबिक गंभीर खाद्य सुरक्षा का सामना करने वाले लोगों की तादाद दोगुनी होने की संभावना है।
* प्रमुख चुनौतियां=
1. मांग आपूर्ति पूरी तरह प्रभावित खाद्य सामग्री जरूरी सामान की मांग में गिरावट।
2. आर्थिक गतिविधियों का चक्र टूटेगा उत्पादन प्रक्रिया बाधित होगी।
3. असंगठित क्षेत्रों में रोजगार छिने जा सकते हैगरीबी और बेरोजगारी बड़ेगी।
4. शेयर बाजार और वित्त क्षेत्र में कमजोर ।
5. सरकारी खजाने में जीएसटी और दूसरे करो में आने वाली पैसों में भारी गिरावट दर्ज की जाएगी।
6. एयरलाइन, ट्रैवल, टूरिज्म, होटल और हॉस्पिटैलिटी जैसी सेक्टर ठप्प हो जायेगे।
** सरकार की इस संकट से उबरने में रणनीति....
1. केंद्र सरकार ने 170 लाख करोड रुपए के पैकेज की घोषणा की है।
2. प्रधानमंत्री और जन कल्याण योजना के तहत डायरेक्ट कैश ट्रांसफर की सुविधा उपलब्ध कराई गई है ।
3. खाद्य सुरक्षा के जरिए गरीबों को राशन उपलब्ध कराया गया एवं खाद्य सामग्री को दोगुना कर दिया गया है ।
4. कर्मचारी भविष्य निधि खाते में 3 महीने का मूल वेतन या जमा राशि का 75% जो कम हो निकालने की अनुमति है ।
5. रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 4 .4% तक के दिया है।
6. सीआरआर में कटौती कर लिक्विडिटी बढ़ाई गई है ।
* भारतीय अर्थव्यवस्था समक्ष अन्य चुनौतियां....
1. करोना काल में गरीबी ,भूख ,बेरोजगारी और कामगारों को आपात राहत पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है ,गांव की ओर लौट रहे मजदूरों को दोबारा श्रम बाजार में लाना मुश्किल है, बेरोजगारी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दशा चिंताजनक है, छोटी और मझोली उद्योग महामारी की वजह से बनी इस स्थिति को बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है ,रोजगार उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती है ,प्रवासी मजदूरों के रोजगार पर लना , रेमिटेंस की कमी की संभावना है ,सरकार को इन समस्याओं से निपटने के लिए आगे क्या रणनीति अपनानी होगी ।
* सरकार को नीतियों में जरूरी बदलाव कर करके नई नीतियां को बनाने और राहत पैकेज देने की जरूरत है साथ ही राशन कार्ड और सार्वजनिक वितरण प्रणाली बनाने की जरूरत है।
1. स्थानीय स्तर परस्थाई रोजगार कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है ।
2. छोटे उद्योगों और स्वरोजगार में लगे लोगों को और सब्सिडी दोनों उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
3. खुदरा बाजार होटल उद्योगों और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार बहाली के लिए गंभीर प्रयास करने की दरकार है।
4. मांग और आपूर्ति को दोबारा रेगुलेट करने के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन एवं उद्योगों की जरूरत है ।
** निष्कर्ष - तह यह कहा जा सकता है सरकार करोना महामारी की समस्याओं से निपटने के लिए बहुत ही बेहतरीन कदम उठा रही है अगर आगे आवश्यकता पड़ी तो सरकार बैंक को एनबीएफसी और अन्य वित्तीय संस्थानों के लिए भी सरकार को वित्त व्यवस्था करनी चाहिए अन्य वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए वित्तीय आवंटन में बढ़ोतरी करें।
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